इस प्रकार अवर न्यायालय के द्वारा पारित आलोच्य कन्डीषन अवैधानिक है बल्कि न्यायालय के द्वारा यदि सम्पत्ति को निर्मुक्त किया गया, तो उक्त निर्मुक्ति धारा 6ए आवष्यक वस्तु अधिनियम के अन्तर्गत पारित आदेष के अधीन करनी है।
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विद्वान न्यायिक मजिस्टेट डीडीहाट द्वारा पारित आदेश के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि यद्यपि उनके द्वारा रेते के बारे में कोई आदेश पारित नहीं किया गया है मगर ट्रक को तीन लाख रूपये का एक प्रतिभू एवं इसी राशि का स्व बन्धपत्र प्रस्तुत करने पर इस अण्डरटैकिग के साथ कि न्यायालय द्वारा वाहन तलब करने पर वह अपने खर्च पर वाहन को पेश करेगा और बिना न्यायालय की अनुमति के उसका स्वरूप नहीं बदलेगा और खुर्द बुर्द नहीं करेगा, निर्मुक्त किया गया है।